वॉशिंगटन. भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने कश्मीर से प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव शनिवार को संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में रखा। उनके इस प्रस्ताव का पिछले काफी समय से अमेरिका में विरोध हो रहा है। हाल ही में भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने उनके दफ्तर के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया था।
जयपाल की तरफ से पेश किए गए प्रस्ताव में क्या?
प्रस्ताव में भारत सरकार से अपील की गई है कि वह जल्द से जल्द कश्मीर में संचार व्यवस्था सुचारू रूप से शुरू करे। साथ ही इंटरनेट सुविधा भी लोगों को मुहैया कराए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा सीमापार से आने वाले आतंकियों से भी लोगों को खतरा है। हालांकि, सरकार को हिरासत में रखे गए लोगों और शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बल इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत सरकार को हिरासत में रखे गए लोगों को जल्द रिहा करना चाहिए। सरकार को उनके लिए रिहा करने की शर्तों को ज्यादा कड़ा नहीं करना चाहिए। उन्हें रिहा करने के लिए जिन बॉन्ड्स पर साइन कराया जा रहा है, उनमें भाषण और राजनीतिक क्रिया-कलापों को रोकने जैसी शर्तें नहीं होनी चाहिए।
संसद में रखे गए इस प्रस्ताव में दावा किया गया है कि इस बात के सबूत फोटो में हैं कि हिरासत में रखे गए लोगों को कड़ी शर्तों वाले बॉन्ड्स साइन कराए जा रहे हैं। इन शर्तों के तहत वे बाहर निकलने के बाद राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते और न ही कोई भाषण दे सकते हैं। भारत सरकार पहले ही ऐसे आरोपों को नकार चुकी है।
प्रस्ताव में कितना दम?
प्रमिला जयपाल ने जो प्रस्ताव पेश किया है, उसे सिर्फ कंसास के एक रिपब्लिकन सांसद स्टीव वाटकिंस का साथ मिला है। यह साधारण प्रस्ताव है, जिस पर सीनेट में वोटिंग नहीं हो सकती। न ही इसे लागू करने के लिए कोई दबाव बनाया जा सकता है।
5 अगस्त से हिरासत में हैं कश्मीर के बड़े नेता
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 और धारा 35ए को निरस्त करने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला किया था। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन सहित कई नेताओं को हिरासत में रखा गया है। इन नेताओं को हाल ही में श्रीनगर के एक बड़े होटल से सरकारी इमारत में भेजा गया है।