सरकार 'प्रोफेसर आयुष्मान' के जरिए बच्चों को सिखाएगी घरेलू इलाज के नुस्खे

 

अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार, शक्तिमान हो या छोटा भीम बच्चों के बीच कार्टून चरित्र खूब लोकप्रिय होते हैं। यही कारण है कि आयुष मंत्रालय ने देशी इलाज की तकनीकी का प्रचार करने के लिए अब कार्टून कैरेक्टरों का सहारा लिया है। मंत्रालय ने 'प्रोफेसर आयुष्मान' नाम से एक कार्टून कैरेक्टर की कॉमिक बुक प्रकाशित कराई है, जिसमें विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए घरेलू नुस्खे मनोरंजक ढंग से बताये गए हैं। पुस्तक को पूरी तरह से बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। शुरुआती चरण में यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई है, लेकिन शीघ्र ही यह हिंदी समेत आठ अन्य भाषाओं में प्रकाशित की जाएगी।

बताए गए हैं घरेलू नुस्खे


बच्चों में चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, पढ़ाई में ध्यान न लगना, बार-बार ध्यानभंग होना जैसी समस्याएं होती हैं। परीक्षा के दौरान तनाव भी बच्चों में बड़ी समस्या होता है। प्रोफेसर आयुष्मान इस पुस्तक में बच्चों की सभी समस्याओं की चर्चा करते दिखाई देंगे। वे इन समस्याओं से निबटने के लिए घरेलू नुस्खे भी बताते हैं। यही कारण है कि पुस्तक में एलोवीरा, तुलसी, आंवला, गिलोय, नीम, अश्वगंधा और ब्राह्मी जैसे पौधों के बारे में बताया गया है।

फास्ट फूड्स से स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव


नेशनल मेडिकल प्लांट बोर्ड (एनएमपीबी) के वरिष्ठ पदाधिकारी विक्रम सिंह ने अमर उजाला को बताया कि हमारे घरों में ही ऐसी बेहतरीन चीजें उपलब्ध होती हैं, जिनका उपयोग करके बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। लेकिन फास्ट फूड्स के बढ़ते इस्तेमाल और दवाइयों पर निर्भरता से बच्चों के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। यही कारण है कि बच्चों और उनके मां-बाप को ऐसी घरेलू चीजों से अवगत कराया जा रहा है, जिनका उपयोग करके वे खेलों और शिक्षा में प्रदर्शन को सुधार सकते हैं।

मनचाहा प्रचार नहीं कर पाएंगी प्राइवेट कंपनियां


आजकल घरेलू इलाज और योग की लोकप्रियता जोरों पर है। यही कारण है कि अनेक प्राइवेट कंपनियों के जरिए ऐसे उत्पाद बेचे जा रहे हैं बड़ी-बड़ी समस्याओं से निबटने के दावे किये जा रहे हैं। लेकिन इनकी प्रामाणिकता अब तक बड़ी समस्या बनी हुई है। अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय ने अब ऐसी कंपनियों को किसी भी उत्पाद के प्रचार से पहले मंत्रालय से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। इस तरह प्राइवेट कंपनियां घरेलू दवाओं के नाम पर भ्रामक प्रचार नहीं कर सकेंगी।